ज़ुल्फ़ें भी सुना है कि संवारा नहीं करते,
एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
तुम्हारे लब को छूने का इरादा रोज करता हूँ,
कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
मंजिल की तलाश में खुद को अकेले चलना होगा,
कौन फिरता है ज़मीं पे चाँद सा चेहरा लिए।
जो मेरा shayari in hindi हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता।
सौदा करते हैं लोग यहाँ एहसासों के बदले,
जिंदगी के एक झोंके से सारे पन्ने पलट गए,
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
सूरज की तरह तेज मुझमें मगर मैं ढलता रहा,
कुछ बदल जाते हैं, कुछ मजबूर हो जाते हैं,
तेरी चिट्ठी जो किताबों में छुपा रखी है।